उच्च हिमालय में विराजमान विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। पौराणिक परंपराओं के अनुसार भैयादूज के मौके पर सुबह साढ़े आठ बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के छह महीनो के लिए बंद हुए। अब आने वाले शीतकाल के छह महीनो तक पंचकेदारो की गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भक्त भोले बाबा के दर्शन कर सकेंगे। केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने के मौके पर डेढ़ हजार से अधिक श्रद्धालु इस शुभ अवसर के साक्षी बनें।केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया गत दिवस से ही शुरू हो गई थी। उत्सव डोली को मंदिर में रखा गया था। मंगलवार सुबह तीन बजे से ही समाधि पूजा शुरू कर दी गई थी। लगभग दो घंटे तक पूजा की गई। मुख्य पुजारी, वेदपाठियों ने पूजाएं संपन्न कराई। इसके बाद भोले बाबा की पंचमुखी मूर्ति को उत्सव डोली को मंदिर के अंदर स्वयं भू लिंग वाले गर्भ गृह से ठीक सुबह 6.30 पर बाहर लाया गया। साथ ही गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिए गए। इसके पश्चात उसत्सव डोली को भक्तो के दर्शनार्थ गर्भ गृह के बाहर में रखा गया। ठीक आठ बजकर 30 मिनट पर उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाने के बाद केदारनाथ मंदिर के मुख्य कपाट बंद कर दिए गए। इस मौके पर यहां मौजूद भक्तो के जयकारों से पूरी केदारपुरी भक्तमय हो गई। जम्मू-कश्मीर आर्मी की बैंड टीम की धुनों ने भी माहौल को भक्तिमय बना दिया। मंदिर से उत्सव डोली के बाहर आने के बाद मंदिर की परिक्रमा की गई। साथ ही डोली सीधे अपने गद्दीस्थल के लिए रवाना हो गई। 30 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर फाटा, नारायणकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 31 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली गुप्तकाशी से प्रस्थान कर लगभग सुबह ठीक 11 बजे पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में प्रवेश करेगी। जहां डोली का फूल व अक्षतों से जोरदार स्वागत होगा। वहीं, डोली को ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद से शीतकाल में बाबा केदारनाथ की पूजा इसी मंदिर में होगी।