Ardh Kumbh mela 2016

(अर्ध कुंभ मेला – हरिद्वार)

ardh kumbh mela haridwar 2016

The origin of the Kumbh is very old and dates back to the time when Kalasha (pot of nectar of immortality) was recovered from Samudramanthan (during the churning of the primordial sea), for which a tense war between Devtas (Gods) and Asuras (Demons) ensued. To prevent the Amrita Kalasha being forcibly taken into possession by Asuras, who were more powerful than Devtas, its safety was entrusted to the Devtas Brahaspati, Surya, Chandra and Shani. The four Devtas ran away with the Amrita Kalasha to hide it from the Asuras. Learning the conspiracy of Devtas, Asuras turned ferocious and chased the 4 Devtas running with Amrita Kalasha. The chase, lasted 12 days and nights during which the Devtas and Asuras went round the earth and during this chase, Devtas put Amrita Kalasha at Haridwar, Prayag, Ujjain and Nasik.

To commemorate this holy event of the Amrita  Kalasha 12 years.According to other Pauranic legends actual fight in the Amrita Kalash being knocked out of which Amrita being put at  4 places, Kumbh is celebrated every  took  place between Devtas and Asuras resulting  (Nectar) fell down at the above 4 places

The festival is religiously most important for the Hindus. At every Kumbh occassion, millions of Hindus take part in the celebrations. During 2003 Kumbh at Haridwar, more than 10 millions devoteed gathered at the site. Saints, priests, and yogis from all corners of India, gathered to participate in Kumbh. Haridwar is considered very holy, due to the fact that Ganga enter plains from mountains here itself.

The festival is visited by the most amazing saints from all across India.The Naga Sadhus are one such, who never wear any cloth and are smeared in ash. They have long matted hairs and are not at all affected by the extremes of heat and cold. Then there are the Urdhwavahurs, who believe in putting the body through severe austerities. There are the Parivajakas, who have taken a vow of silence and go about tinkling little bells to get people out of their way. The Shirshasins stand all 24 hours and meditate for hours standing on their heads. Spending the entire month of Kumbh on the banks of Ganga, meditating, performing rituals and bathing thrice a day, are the Kalpvasis.

It is believed that bathing during Kumbh cures the bather of all sins and evils and grants the bather, salvation. It is also believed that at the time of Kumbh Yog, the water of Ganga is charged with positive healing effects and that water at the time of Kumbh is charged positively by enhanced electromagnetic radiations of the Sun, Moon and the Jupiter, the flux of which also varies in accordance to positions and the phases of the moon, and also by the + and – signs of the sun spots.

Haridwar Ardh Kumbh Mela 2016 – Main Bathing (Snan) Dates:

Date (2016)DayEvent
14th JanuaryThursdayMakar Sankranti
12th FebruaryFridayVasant Panchami
22nd FebruaryMondayMagh Purnima
7th MarchMondayMahashivratri
7th AprilThursdayChaitra Amavasya
8th AprilFridayChaitra Shukla Pratipada
14th AprilThursdayMesha Sankranti
15th AprilFridayRam Navami
22nd AprilFridayChaitra shukla Purnima

BATHING GHATS IN HARIDWAR

  •  Har Ki Pauri
  • Asthi Pravath Ghat
  • Subhash Ghat
  • Gau Ghat
  • Sapth Sarover Kshetra Ghat
  • Sarvanand Ghat
  • Pantdweep Ghat
  • Kangra Ghat 
  • Roode Bale Wala Ghat
  • Ganesh Ghat 
  • Varagi Camp Ghat
  • Sati Ghat 
  • Daksheshwar Ghat
  • Singh Dwar Ghat
  • Sita Ghat

For more details contact

Mela Officer
Ardh Kumbh Mela 2016 – Haridwar
Mela Niyantran Bhawan
Har ki Pauri Haridwar

Phone no : 01334-224456
Fax : 01334-224457
Email:melaofficer-har-uk@nic.in

उत्तराखंड के चारों धामों का अपना न्यूज चैनल अगली यात्रा से

जल्द शुरू होगा चार धाम का अपना न्यूज चैनलchar-dham-yatra-1-638

सुरक्षित उत्तराखंड, सुरक्षित बदरी-केदार के संदेश को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए चारों धामों का अपना न्यूज चैनल 2016 यात्रा से पहले शुरू हो जाएगा। इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा से जुड़ी सभी जानकारियां व मौसम का अपडेट भी मिलेगा।  संभावना है कि यात्रा शुरू होने से पहले चारधाम (गंगोत्री, यमुनोत्री, श्रीबदरीनाथ व श्रीकेदारनाथ) की यात्रा तैयारियां व मौसम का अपडेट बीकेटीसी के न्यूज चैनल पर प्रसारित होने लगेगा। बीकेटीसी ने ‘श्रीबदरी-केदार विजयते’ नाम से न्यूज चैनल के प्रसारण की कवायद की है। राष्ट्रीय स्तर पर चैनल का प्रसारण दूरदर्शन के डीटीएच से लेकर प्राइवेट संचार कंपनियों के नेटवर्क पर करने की योजना है।

चार धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को अपना कार्यक्रम बनाने में सुविधा होगी, वहीं मंदिर समिति को प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी। चारधाम की सुबह-शाम की आरती और विशेष पूजा। चारधाम में होने वाले अनुष्ठान, बीकेटीसी के बारे में जानकारी, बीकेटीसी के अधीन मठ-मंदिरों की महत्ता, चारधाम यात्रा मार्ग (पैदल व सड़क), पड़ाव व बाजारों के बारे में जानकारी, उत्तराखंड की धार्मिक व सांस्कृतिक महत्ता, पंच केदार, पंच बदरी, पंच प्रयाग सहित विशेष पर्व, तिथि, राशिफल और अन्य धार्मिक विषयों के बारे में जानकारी।श्रीबदरीनाथ व श्रीकेदारनाथ धाम के रावल व अन्य वेद पाठियों द्वारा धाम की महिमा के बारे में विशेष जानकारी। धामों से जुड़ी अन्य धार्मिक जानकारी। प्रत्येक दो-दो घंटे में मौसम के अपडेट के साथ न्यूज बुलेटिन भी प्रसारित होंगे।

TEHRI LAKE FESTIVAL

Tehri Lake Festival
tehri lake festival

 

Tehri-Asia’s biggest Lake Festival is back with non-stop action and adventure,fun and frolic,entertainment and exitment !

Uttarakhand Tourism Development Board is hosting the much-awaited 2 days water sports and cultural event on 28th & 29th Nov. 2015 in Koti Colony and Tehri Lake.

Come,experience the thrills of canoeing,river-rafting,paragliding and kayaking.Watch Adventures experts showcase their aerial skills.The festival includes high octane music and dance performances and a grand display of fireworks on the evening of 28th November.

Tehri is fast developing into a major tourist destination with great potential for the tourism and hospitality industry.An Investor Summit has been organised by UTDB to enable investors explore the infinite possibilities Tehri has to offer.

Come to Tehri.The festival lasts two days.The memories will last a lifetime!

For more Information website:-  tehrilakefestival.in  Email :- tehri.lake@gmail.com, Phone  :- 01376-236794

सुरक्षित उत्तराखंड दिवस

Surakshit UK

सुरक्षित उत्तराखंड दिवस 17 नवंबर, 2015

साल 2013 में आई प्रलयंकारी आपदा के बाद चार धाम यात्रा से उत्साहित उत्तराखंड सरकार ने देश-विदेश के ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए आगामी 17 नवंबर 2015 को सुरक्षित उत्तराखंड दिवस मनाने का निर्णय किया है । इसके माध्यम से पर्यटकों को यह संदेश दिया जाएगा कि राज्य के पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं के जरिए पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। विकास भवन में हुई अहम बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए। उन्होंने ये भी कहा कि इस मौके पर पूरे प्रदेश में पौधारोपण, चित्रकला, निबन्ध प्रतियोगिता और स्कूलों द्वारा रैलियां आयोजित की जायेंगी।

सुरक्षित उत्तराखंड दिवस के मौके पर वन विभाग गुच्चुपानी में पौधा रोपण किया जाएगा। सुरक्षित उत्तराखंड दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि पर्यटक इस बात को समझें कि उत्तराखंड पर्यटकों की सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित है।

Jageshwar Yog Festival

Jageshwar Yog Festival

 

  It is for the first time that the state government is holding international yoga festival at Almora for two days on November 5 and 6. Rishikesh-based Parmarth Niketan is collaborating with the state government for the festival.
yog festival in jageshwar

The Government of Uttarakhand and Parmarth Niketan (Rishikesh) are jointly organizing the first ever Jageshwar Yoga Festival from the 5-6th November. In the picturesque, sacred land of Jageshwar, one of the most holy and ancient temples of the Himalayas, a special Jageshwar Yoga Festival will bring together Yogis from across India and across the world. The programme will include asanas, pranayama, meditation, divine discourses by yoga masters, cultural programmes, sacred fire ceremonies (yagna/havan), divine lighting ceremonies (aarti), nature walks and much more. Join us for the refreshing Himalayan climate, enjoy local sattvik food, and be inspired, uplifted and transformed forever.

Contact Us at: Email: mishraji@parmarth.com, Phone: 0135-2440011, 09411106609

 

2016 में बदल जाएगा केदारनाथ धाम

2016  में बदल जाएगा केदारनाथ धाम

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जून 2013 में आपदा से तहस-नहस हुआ केदारनाथ धाम आने वाले दिनों में नए रूप में दिखाई देने वाला है। केदारनाथ में मंदाकिनी और सरस्वती नदी के संगम पर जीओ टेक्सटाइल तकनीकी से बनाया जा रहा स्नान घाट 2016 जनवरी माह के पहले सप्ताह में पूरा हो जाएगा। IIT रुड़की के डिजायन और CBRI की संस्तुति से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) जुलाई माह से केदारनाथ में स्नान घाट का निर्माण कर रहा है। दो सौ मीटर लंबे स्नान घाट का कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। घाट के निर्माण में विदेशों में अधिक बर्फ और बारिश वाले स्थानों में उपयोग होने वाली जीओ टेक्सटाइल तकनीक का उपयोग हो रहा है।

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सीढ़ियों और फर्श पर भी तकनीक से पठाल बिछाई जाएगी। इसके अलावा स्नान घाट के ऊपरी फर्श पर छतरियां भी बनाई जाएंगी। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए एक से अधिक संख्या में स्नानघर व शौचालय की व्यवस्था भी होगी। घाट के बनने से अगले वर्ष से धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को नदी में स्नान, कर्मकांड और अन्य कार्यों के लिए दिक्कत नहीं होगी।

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दूसरी तरफ घाट के चारों तरफ तीन सौ मीटर के दायरे में मिट्टी की परत को भी वैज्ञानिक विधि से मजबूत किया जाएगा। पॉली बेनायल फ्लोराइड से बनी कपड़े जैसी पतली चादर को जीओ टेक्सटाइल कहा जाता है। यह बर्फ और ज्यादा पानी वाले स्थानों पर होने वाले निर्माण में उपयोग में लाई जाती है। मिट्टी पर मजबूत पकड़ बनाने वाला टेक्सटाइल से निर्माण में परत-दर परत पॉली बेनायल फ्लोरायड और मिट्टी की परत बिछाई जाती हैं।
 
 

13 नवंबर भैयादूज को बंद होंगे केदारनाथ मंदिर के कपाट।

रुद्रप्रयाग:

विजयदशमी के पर्व पर केदारनाथ मंदिर, मद्महेश्वर मंदिर व तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि तय कर दी गई है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट दीपावली के दूसरे दिन भैया दूज को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। 13 नवंबर को भैयादूज के पावन पर्व पर बाबा केदार के कपाट प्रात: आठ बजे विधि विधान से बंद किए जाएंगे। जबकि मद्महेश्वर के कपाट 24 नवंबर व बाबा तुंगनाथ के कपाट तीन नंवबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे।

शीतकाल में बाबा केदारनाथ व मद्महेश्वर की पूजा अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व बाबा तुंगनाथ की पूजा मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ में होगी। आचार्य यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी व सतेश्वर प्रसाद सेमवाल ने पंचांग गणनानुसार मंदिर के कपाट बंद होने की तिथियां निकाली।

इसके बाद अगले छह महीने तक ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में ही बाबा केदार की पूजा-अर्चना होगी।

17 नवंबर, को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

17 नवंबर, को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

(बदरीनाथ धाम),

हिन्दुओं के सर्वोच्च तीर्थ के रूप में स्थापित बद्रीनाथ धाम में स्थित बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आगामी 17 नवंबर को शीतकाल में छह महीने के लिए बंद कर दिए जाएंगे।  विजया दशमी के मौके पर धर्माचार्यों की बैठक में यह फैसला लिया गया।

बदरीनाथ मंदिर परिसर में दोपहर करीब 12 बजे मुख्य पुजारी रावत ईश्वर प्रसाद नंबूदरी की मौजूदगी में धर्माधिकारी भुवन उनियाल ने पंचाग देखकर कपाट बंद करने का मुहूर्त निकाला।
इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि पूरे विधि विधान के साथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शाम 4 बजकर 35 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे।

13 नवंबर भैयादूज को बंद होंगे केदारनाथ मंदिर के कपाट।

Half Marathon For Clean Ganga Awareness

The Uttarakhand sports department is organizing a Ganga Half Marathon/Run for Fun on October 26 to create awareness about the importance of keeping Ganga clean. The half marathon will kick off from the tri-junction of Rishikesh PG College at 7am and will end at Har Ki Pauri in Haridwar. A separate ‘Run for Fun’ race of 2 km will also be organized between Triveni Ghat in Rishikesh and IDPL City gate in Rishikesh and between Shantikunj and Har Ki Pauri in Haridwar. “The whole aim of the half marathon and Run For Fun races is to create awareness among the stakeholders and general public about the importance of keeping Ganga clean,” said sports minister Dinesh Agarwal.  To ensure maximum participation, the sports department has announced generous cash rewards. The winner of the half marathon will be get richer by Rs 1 lakh while the second and third sport winner will get Rs 75,000 and Rs 50,000 cash prizes, respectively. Significantly, the participants remaining between 4th and 11th position will get Rs 10,000 as encouragement award.

ganga
 
 

इंडो-जर्मन संयुक्त अभियान दल ने पार किया ट्रेल दर्रा

[vc_row][vc_column][vc_column_text]7 अक्टूबर 2015


 

इंडो-जर्मन संयुक्त अभियान दल ने 5312 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद कठिन ट्रेल दर्रा पार करने में कामयाबी हासिल की है। दल के सदस्यों ने 30 सितंबर को ट्रेल दर्रे पर तिरंगा फहराया। दिल्ली की व्हाइट मैजिक ट्रैवल कंपनी के सहयोग से संचालित इस अभियान दल के 14 सदस्यों ने पिंडारी के जीरो प्वाइंट में बेस कैंप स्थापित किया था। मंगलवार को दल के सदस्य मुनस्यारी पहुंचे।

अभियान दल का नेतृत्व अल्मोड़ा निवासी ध्रुव जोशी ने किया। उनके साथ जर्मनी के उलिच रौनर, कैरीन रौनर, भीमताल के नीतेश जोशी, लेह के तासी थुंग्चू, हरिद्वार के विनीत जोशी, जोशीमठ के प्रमोद भंडारी, बागेश्वर के नरेश हरड़िया, दार्जिलिंग के सीरी राज, तेंबा शेरपा, चमोली के मोहन सिंह, त्रिलोक सिंह, मकर सिंह और करन सिंह थे।
दल के सदस्यों ने 22 सितंबर को पिंडारी में जीरो प्वाइंट पर बेस कैंप बनाया। उसके बाद तख्ताखड़क में एडवांस कैंप स्थापित किया गया। 5307 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रौकवाल में हाईकैंप की स्थापना की गई। 30 सितंबर को सुबह करीब 11 बजे जर्मनी और भारतीय पर्वतारोही ट्रेल दर्रे पर पहुंच गए।
ध्रुव जोशी ने बताया कि इससे पहले ट्रेल दर्रा पार करने के लिए 86 बार अभियान हो चुके हैं लेकिन कामयाबी अब तक मात्र 14 दलों को मिल पाई है। ध्रुव जोशी ने इससे पहले 13वें अभियान दल के साथ भी हिस्सा लिया था।
वह बताते हैं कि ट्रेल दर्रे में सुबह और शाम के समय तेज बर्फीली हवाएं चलती हैं। इसी कारण अभियान दलों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
 
समाचार स्रोत: – अमर उजाला[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

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